कोटा के दशहरे में उतरी मिनी इंडिया की लोक संस्कृति की झलक…

कोटा के दशहरा मेले में विजयश्री रंगमंच पर उतरी भारतवर्ष की संस्कृति। राजस्थान के अलावा गुजरात, उत्तराखण्ड, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल आदि प्रांतों से आए कलाकारों ने दी रंगारंग मनमोहक प्रस्तुतियां। 

ओडिसा का गोटी पुआ, गुजरात का डांडिया रास, गरबा व महाराष्ट का लावणी नृत्य की एक के बाद एक हुई प्रस्तुतियों ने मानों संपूर्ण भारतवर्ष की सांस्कृतिक झलकियों को जीवंत कर दिया। ऐसा लगा कि कोटा के 123 वें मेला दशहरा के विजयश्री रंगमंच पर मिनी इंडिया उतर आया हो। अलग-अलग प्रांतों से आए कलाकारों ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा व वाद्य यंत्रों के साथ जो प्रस्तुति दी वो तारीफे काबिल रहीं। दर्शक दीर्घा में बैठे लोग प्रस्तुतियों को अपलक निहारते रहे। मेला परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा।

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मौका था नगर निगम कोटा की ओर से आयोजित राष्ट्रीय दशहरा मेला 2016 के उपलक्ष में मंगलवार को विजयश्री रंगमंच पर आयोजित पश्चिम मध्य सांस्कृतिक केन्द्र कार्यक्रम की मनमोहक प्रस्तुतियांे का। कार्यक्रम की शुरूआत महाराष्ट से आए 16 लोक कलाकारों के दल ने गणेश वंदना से की। इसके बाद इन कलाकारों ने महाराष्ट की लोक संस्कृति पर आधारित लावणी नृत्य की प्रस्तुति दी। उडिसा से आए कलाकारों ने गोटी पुआं नृत्य से की युवतियों के वेष में युवकों द्वारा दी गई प्रस्तुति ने दर्शक दीर्घा में मौजूद जनों का ध्यान केंद्रित कर दिया। इसके बाद गुजरात के कलाकारों ने केसरियों रंग म्हाने लाग्यों रे …गीत पर नृत्य पेश कर ताली गरबा, दीया गरबा, टिपडी गरबा की बारिकियां बताई। ढोल के साथ शहनाई व पुपाडी की आवाज में नृत्य की पेशकश की जमकर सराहना हुई।

मेला अधिकारी व निगम उपायुक्त राजेंद्र सिंह चारण ने बताया कि मुख्य अतिथि बूंदी विधायक अशोक डोगरा, सम्माननीय अतिथि जिला परिषद सदस्य नवीन शर्मा कंटू, कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन, महासचिव अशोक माहेश्वरी, भाजपा नेता कुंज बिहारी गौतम, यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र त्यागी, सीए सुरेंद्र विजय ने विधिवत पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। महापौर महेश विजय, उप महापौर सुनीता व्यास, निगम आयुक्त शिवप्रसाद एम नकाते, मेला अधिकारी व आयुक्त राजेंद्र सिंह चारण, उपायुक्त राजेश डागा, एसी भूपंेद्र माथुर, मेला प्रभारी प्रेमशंकर शर्मा, मेला आयोजन समिति सदस्य पार्षद महेश गौतम लल्ली, नरेंद्र सिंह हाड़ा, मोनू कुमारी, मीनाक्षी खंडेलवाल, प्रकाश सैनी, कृष्ण मुरारी सामरिया, भगवान स्वरूप गौतम, रमेश चतुर्वेदी आदि ने अतिथियों व कलाकारों माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। देर रात तक चले इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद थे। संचालन रेणु श्रीवास्तव ने किया।

महिषासुर वध प्रसंग के मंचन ने मोहा
मेला प्रचार प्रसार समिति के अध्यक्ष कृष्ण मुरारी सामरिया ने बताया कि मंच पर पश्चिमी बंगाल से आए कलाकारों के गु्रप ने देवी देवताओं व राक्षसों के मुखोटे लगाकर वाद्ययंत्रों की स्वर लहरियों पर मनमोहक प्रस्तुतियां दी। बांसुरी, ढोलक, मंजीरे के सुरीले संगीत के संगम के बीच परंपरागत वेशभूषा में कलाकारों की प्रस्तुति देखते बनी। पुर्लिया छाहू नृत्य के जरिए काली माता द्वारा महिषासूर वध के प्रसंग का मंचन बेहद ही रोमांचक रहा। मेला समिति सदस्य पार्षद महेश गौतम लल्ली ने बताया कि इसके बाद पश्चिमी बंगाल के ही पुरूलिया से आए लोक कलाकारों के दल ने छाउ नृत्य की प्रस्तुति दे दर्शकों का खूब ध्यान खींचा। देर रात तक चले कार्यक्रम में देश के विभिन्न अंचलों से आए करीब 125 लोक कलाकारों ने अपने अपने प्रांतों की संस्कृतियों की रौचक प्रस्तुतियां दी। देर रात तक चले इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।

– मीडिया पॉइंट





महाराष्ट्र के लावणी और गुजरात के गरबा के साथ पूरे देश की संस्कृति जीवंत हुई दशहरा मेले में

दशहरामेले में विजयश्री रंगमंच पर मंगलवार को ओडिशा का गोटी पुआ, गुजरात का डांडिया रास, गरबा महाराष्ट्र के लावणी नृत्य की प्रस्तुतियों से लगा जैसे देश के हर काेने का संगीत नृत्य मंच पर गया हो। इस प्रदर्शन ने देश के हर कोने की सांस्कृतिक झलकियों को जीवंत कर दिया। अलग-अलग प्रांतों से आए कलाकारों ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुति दी।

पश्चिम मध्य सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से यह कार्यक्रम हुआ। इसकी शुरूआत महाराष्ट्र से आए 16 लोक कलाकारों के दल ने गणेश वंदना से की। इसके बाद इन कलाकारों ने महाराष्ट्र की लोक संस्कृति पर आधारित लावणी नृत्य की प्रस्तुति द। ओडिशा से आए कलाकारों ने गोटी पुआ नृत्य से अपनी शुरूआत की। युवतियों के वेश में युवकों द्वारा दी गई प्रस्तुति ने दर्शकों ने सराहा। इसके बाद गुजरात के कलाकारों ने केसरियों रंग म्हाने लाग्यो रे… गीत पर नृत्य पेश कर ताली गरबा, दीया गरबा, टिपडी गरबा की बारिकियां बताई। ढोल के साथ शहनाई पुपाड़ी की आवाज में नृत्य की पेशकश पर मौजूद दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई।

मुख्य अतिथि विधायक अशोक डोगरा, अतिथि जिला परिषद सदस्य नवीन शर्मा कंटू, व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन, महासचिव अशोक माहेश्वरी, भाजपा नेता कुंज बिहारी गौतम, यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र त्यागी, सीए सुरेंद्र विजय ने विधिवत पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

महिषासुर वध प्रसंग का हुआ मंचन

मंचपर पश्चिमी बंगाल से आए कलाकारों के ग्रुप ने देवी-देवताओं राक्षसों के मुखौटे लगाकर वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियों पर अपनी प्रस्तुतियां दी। वे बांसुरी, ढोलक, मंजीरे के सुरीले संगीत के संगम के बीच परंपरागत वेशभूषा में प्रस्तुति दे रहे थे। पुर्लिया छाहू नृत्य के जरिए काली माता द्वारा महिषासुर वध के प्रसंग का मंचन बेहद ही रोमांचक रहा। मेला समिति सदस्य पार्षद महेश गौतम लल्ली ने बताया कि इसके बाद पश्चिमी बंगाल के ही पुरूलिया से आए लोक कलाकारों के दल ने छाउ नृत्य की प्रस्तुति दे दर्शकों का ध्यान खींचा। देर रात तक चले कार्यक्रम में देश के विभिन्न अंचलों से आए करीब 125 लोक कलाकारों ने अपने-अपने प्रांतों की संस्कृतियों की प्रस्तुतियां दी।

राजस्थानी संस्कृति की झलक दिखी किसान रंगमंच पर

किसानरंगमंच पर जैसे ही कलाकारों ने पल्लू गिरा दिया…नैणा रा लोभी किकर आउसा… नैनो में सपना सपनों में अपना… म्हारी घूमर छह नखराली सा… सरीखे गीतों के साथ संगीतमय प्रस्तुति दी। वहां राजस्थान की सांस्कृतिक जीवंत हो गई। देर रात तक चले कार्यक्रम में रामापीर भजन मंडली, मोहम्मद रफीक म्यूजिकल ग्रुप, सना आर्केस्टा, इंडियन म्यूजिकल ग्रुप, वेलकम म्यूजिकल ग्रुप, हरीश मेलोड़ी, स्काउट-गाइड ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। उन्होंने बारी-बारी से राजस्थानी, हिंदी गीतों के अलावा नृत्य, कॉमेडी की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरूआत अतिथि यूथ कांग्रेस के प्रदेश सचिव विजय सिंह राजू, पूर्व पार्षद संतोष अग्रवाल ने की।

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केसरियो रंग म्हाने लाग्यो रे….

दशहरा मेले में विजयश्री रंगमंच पर मंगलवार रात भारत की विभिन्नता में एकता की झलक देखने को मिली। देश के अलग-अलग राज्यों की संस्कृति पर आधारित नृत्यों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मोहित कर दिया। ओडिसा का गोटी पुआ, गुजरात का डांडिया रास, गरबा व  महाराष्ट का लावणी नृत्य देख लोग अलग-अलग राज्यों की संस्कृतियों से रूबरू हुए।

मौका था  पश्चिम मध्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का। पश्चिम मध्य सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर के कलाकारों ने नृत्यों का एेसा समां बांधा की लोग देखते ही रह गए। पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे कलाकारों की प्रस्तुतियों को देख दर्शक तालियां बजाकर उनका हौंसला बढ़ाते रहे।

कार्यक्रम की शुरूआत महाराष्ट्र से आए 16 लोक कलाकारों के दल ने गणेश वंदना से की। इसके बाद इन कलाकारों ने महाराष्ट्र की लोक संस्कृति पर आधारित लावणी नृत्य की प्रस्तुति दी। उडिसा के गोटी पुआ नृत्य की प्रस्तुति युवतियों की वेशभूषा में युवकों ने दी। इसे लोग देखते ही रह गए।

गुजरात के कलाकारों ने केसरियों रंग म्हाने लाग्यो रे.. गीत पर नृत्य पेश कर ताली गरबा, दीया गरबा, टिपडी गरबा की झलक बिखेरी। ढोल के साथ शहनाई की आवाज में नृत्य की सराहना हुई।

महिषासुर वध प्रसंग के मंचन ने मोहा

पश्चिमी बंगाल से आए कलाकारों के गु्रप ने देवी-देवताओं व राक्षसों के मुखोटे लगाकर वाद्ययंत्रों की स्वर लहरियों पर मनमोहक प्रस्तुतियां दी। पुर्लिया छाहू नृत्य के जरिए काली माता द्वारा महिषासूर वध के प्रसंग का मंचन रोमांचक रहा।

कार्यक्रम में बूंदी विधायक अशोक डोगरा मुख्य अतिथि रहे। जबकि विशिष्ट अतिथि जिला परिषद सदस्य नवीन शर्मा कंटू, कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन, महासचिव अशोक माहेश्वरी, भाजपा नेता कुंज बिहारी गौतम, यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र त्यागी व सीए सुरेंद्र विजय थे।

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