Shaam-E-Ghazal with Pankaj Udhas – Kota Dussehra Mela 2019

आप जिनके करीब होते है वो बड़े खुश नसीब होते है…
– प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है…
– देर रात तक मशहूर गजल गायक पंकज उदास ने दशहरा मैदान के विजयश्री रंगमंच से बिखेरा सुरों का जादू। रसिक श्रोताजन डूबे गजलों के सागर में।

कोटा, 13 अक्टूबर। कोटा के 126 वें राष्ट्रीय दशहरा मेले में रविवार रात मुंबई के मशहूर गजल फनकार उस्ताद पंकज उदास ने दशहरा मैदान के विजयश्री रंगमंच से अपने सम्मोहक सुरों का जादू बिखेरा और श्रोताओं की जमकर दाद पाई। मेला परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजायमान होता रहा। सूरों का यह जादूगर कोटा नगर निगम की ओर से आयोजित कार्यक्रम शाम-ए-गजल में मौजूद श्रोताजनों के समक्ष अपनी प्रस्तुति दे रहे थे।
शुरूआत आप जिनके करीब होते है वो बड़े खुश नसीब होते है…कैसे सुकुन पाउं तुझे देखकर…से की। इसके बाद हर मुलाकात का अंजाम जुदाई क्यूं है, अब तो हर वक्त यहीं बात सताती हमें….यह जमीन चांद से बेहतर नजर आती है हमें… जिंदगी जब भी तेरी बज्म़ में लाती है हमें…कैसे ये सुकून पाउं देखने के बाद अब क्या गजल सुनाउं तुझे देखने के बाद…आवाज दे रही है मेरी जिंदगी मुझे जाउं या ना जाउं तुझे देखने के बाद…अब क्या गजल सुनाउं…तेरी निगाहे मस्ती ने मखमूर कर दिया…तू सामने आंखों से हो बयां तो सांसो को रोक लू चेहरा कहा छुपाउं तुझे देखने के बाद…सुनाकर रसिक श्रोताओं को संगीत की दुनियां में डूबो दिया।
इससे पहले कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि जिला कलक्टर ओमप्रकाश, नागरिक सहकारी बैंक के अध्यक्ष राजेश बिरला, एलन कोचिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक राजेश माहेश्वरी व भामाशाह मंडी कोटा के अध्यक्ष अविनाश राठी ने विधिवत कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके बाद मंच से सुरो के जादूगर पंकज उदास ने आई जो रूत सुहानी तेरी याद आ गई महकी जो रातरानी तेरी याद आ गई…खुद को संभाले रखा था…बरसात की भीगी रातों में फिर कोई कहानी याद आए…कुछ अपना जमाना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आए.. बरसात की भीगी रातों में…सरीखी गजले सुनाई। गुलाबी सर्द हवाओं के झौंकों के बीच साजों के सुरों के साथ होती गजलों की बौछार ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच से उम्दा गजलों को अपने जादूई सुरों के साथ पेश कर मुंबई के इस गजल गायक ने जमकर दाद पाई। ढोलक तबले की जुगलबंदी के साथ सितार, वायलीन व हारमोनियम आदि साज के साथ आया तेरे दर पर दीवाना… फास्ट रिदम के साथ पेश कर जावेद अख्तर की इस गजल पर श्रोताओं को झूमने को मजबूर कर दिया। वो चांदनी का बदन खुशबुओं का साया है, बहुत अजीज हमें है मगर पराया है… बुरकेफ हवाएं है मौसम भी सुहाना है ऐसे में चले आओं मिलने का बहाना है….प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है…जैसी गजलों की सरिता बहती रहीं। कार्यक्रम देर रात तक चला।

यह भी शरीक हुए इस सुरों की महफिल मेंः महापौर महेश विजय, नेता प्रतिपक्ष अनिल सुवालका, मेला अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला, निगम आयुक्त वासुदेव मालावत, मेला अधिकारी व उपायुक्त कीर्ति राठौड़, उपायुक्त राजपालसिंह, ममता तिवारी, एसी प्रेम शंकर शर्मा, मेला आयोजन समिति सदस्य पार्शद महेश गौतम लल्ली, नरेंद्र सिंह हाड़ा, रमेश चतुर्वेदी, भगवान स्वरूप गौतम, मोनू कुमारी, मीनाक्षी खंडेलवाल, प्रकाश सैनी, सहायक मेला अधिकारी प्रशांत भारद्वाज, मुख्य लेखाधिकारी संजय जैन सहित बड़ी संख्या में वरिष्ठजन, सीनियर पत्रकार व गजल के रसिक श्रोता सपरिवार शरीक हुए। गजल संध्या से पहले विजयश्री रंगमंच पर रामदास राव ने गजलों की प्रस्तुति दी।

– कमल सिंह यदुवंशी

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