आतिशी धमाकों के साथ आग की लपटों में जला अहंकारी रावण का कुनबा

– कमल सिंह यदुवंशी/मीडिया पॉइंट
– दशहरा मैदान में रावण दहन में उमड़ा जन सैलाब। विदेशी मेहमान भी आए। साढे़ आठ मिनट में आतिशी धमाकों के साथ खाक हुआ रावण का कुनबा। 

यूं चला दहन का सिलसिलाः 

8 बजकर 38 मिनट पर कुंभकर्ण को आग लगाई। 3 मिनट में स्वाह।

8 बजकर 42 मिनट पर मेघनाद को आग लगी और डेढ़ मिनट में धराशाही।

8:43 बजे नाभी में आग लगी। धमाकों के साथ सिर गिरने लगे। सिर व सीने में आग के अंगारे धधके। 8ः45 बजे रावण आग की लपटों के बीच धराशायी होने लगा। 8ः46 बजे खाक हुआ अहंकारी रावण। 






कोटा, 30 सितम्बर। नगर निगम कोटा की ओर से आयोजित राष्ट्रीय दशहरा मेला 2017 का रावण कुनबे का शनिवार देर शाम दहन हुआ। भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी के साथ लाव लश्कर के साथ आए कोटा रियासत के पूर्व महाराव कुमार इज्यराजसिंह ने ज्वारा पूजन के बाद रावण की नाभी के कलश को तीर से भेदा। इसके बाद देखते ही देखते अहंकारी रावण का कुनबा भष्म होता चला गया। रावण दहन के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोगों की भीड़ से ठसा ठस दशहरा मैदान में विदेशी सैलानियों ने भी नगर निगम कोटा के इस भव्य आयोजन को करीब से देखा और खूब सराहा। करीब साढे़ आठ मिनट में आतिशी धमाकों के साथ रावण का कुनबा खाक हो धराशाही हो गया। विजयश्री रंगमंच पर करीब रंगीन आतिशबाजी भी देखने को मिली। लोगों ने इन यादगार पलों को केमरों में भी केद किए। 72 फीट रावण व 45-45 फीट के कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों ने दहन से पहले मैदान में गर्दन घुमाना, तलवार चलाने के करतब दिखाएं व खूब अट्टहास किया। दहन से पूर्व जनप्रतिनिधियों ने बैलून छोड़े। आकाश से पुष्पवर्षा हुयी

दहन के दौरान रहे पुख्ताबंदोबस्त

अतिरिक्त मेला अधिकारी प्रेमशंकर शर्मा ने बताया पुतलों के परिधान के रंगों में बदलाव किया गया था। रंगीन आतिश बाजी के नजारों के साथ अहंकारी रावण का कुनबे सहित दहन हुआ। दहन के दौरान दर्शकों को किसी तरह से कोई व्यवधान न पहंुचे इसके लिए रावण कुनबे के आसपास बेरिकेट्स से सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए। 






रावण को कंकर-पत्थर मारते रहे दिनभर

शनिवार सुबह से ही दशहरा मैदान के रावण चौक में रावण, कुंभकर्ण व मेघनाध के पुतलों को देखने वालों की भीड़ लगना शुरू हो गई। दूर-दराज से लोग रावण पुतले को देखने सपरिवार पहंुचे। पुलिस के जवान भी सुरक्षा की दृष्टि से चौकस नजर आए। यहां लोगों ने परंपरा के अनुसार, रावण को पत्थर मारने की रस्म भी अदा की। दिनभर लोग रावण को कंकर पत्थर मारते नजर आए। 

विदेशी सैलानियों को भाया हमारा दशहरा

कोटा के दशहरे मेले की ख्याती के चलते इस दफा भी देशी-विदेशी मेहमान भी दरीखाने पहंुचे और शाही सवारी में सरीक हुए। सैलानियों का यह दल पैदल ही सवारी के साथ रावण दहन स्थल पहंुचा। इन मेहमानों ने सवारी, दहन व मेला परिसर से कई तस्वीरे अपने केमरों में केद की। विदेशी मेहमानों ने दरीखाने में व रावण दहन स्थल पर खूब तस्वीरे केमरों में केद की। 

रावण दहन से पूर्व हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम

मेला आयोजन समिति अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला ने बताया कि रावण दहन से पहले रावण चौक में विजयश्री रंगमंच के पास सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। उत्तरप्रदेश की कलाकार वंदना मिश्रा ने म्हारी मैया की उतारा ऐ आरते… से कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके बाद ठुमक चले श्रीरामचंद्र बाजे पेचनिया…कभी राम बन कर तो कभी श्याम बन करे….सरीखे भजनों की सरिता बहा माहौल भक्तिमय कर दिया। इसके बाद साथी कलाकारों के साथ  राजस्थानी लोकगीतों, भजनों पारंपरिक गाने, अवधि भाशा के गाने, सूफी गायन, बॉलीवुड गायन, कत्थक आदि की प्रस्तुतियां दी। 

कोटा की रामलीला को मिला सम्मान 

रावण चौक में चले सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद एबीपी चैनल की हाल ही में देशभर में करवाए गए रामलीला मंचन के सर्वे में अव्वल रही कोटा की रामलीला श्रीराघवेद्र कला संस्थान के कलाकारों का सम्मान किया गया। मेला अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला ने बताया कि एबीवीपी चैनल की ओर से देशभर की रामलीलाओं का कवरेज कर लाइव टेलीकास्ट किया गया था। कोटा की रामलीला को देश की बेहतर रामलीलाओं में शामिल किया गया। मंच से चैनल के  राजस्थान प्रभारी मनीष शर्मा व मुख्य अतिथि सांसद ओम बिरला ने महापौर महेश विजय को महारामलीला सम्मान का प्रशस्ती पत्र भेंट किया। इस दौरान सांसद ओम बिरला ने कहा कि जीवन में अहंकार ज्यादा नहीं टिकता। रावण भी नहीं टिका। जीवन में अहंकार त्यागे और जीवन को बेहतर बनाएं। महापौर महेश विजय ने कोटा के मेले को सांस्कृतिक विरासत बताया। मेला अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला ने कहा कि मेला हमारी विरासत का अभिन्न अंग है और इसे विश्वपटल पर पहचान मिले इसके लिए हरसंभव प्रयास जारी है। इस दौरान निगम आयुक्त डॉ.विक्रम जिंदल, उपायुक्त राजेश डागा, मेला अधिकारी नरेश मालव, अतिरिक्त मेला अधिकार प्रेमशंकर शर्मा भी मौजूद थे। 

इन जनप्रतिनिधियों ने की सिरकत

मुख्य अतिथि कोटा-बूंदी के सांसद ओम बिरला रहे। विशिश्ट अतिथि लाड़पुरा विधायक भवानीसिंह राजावत, कोटा दक्षिण के विधायक संदीप शर्मा, यूआईटी अध्यक्ष रामकुमार मेहता विशिश्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। महापौर महेश विजय, उप महापौर सुनिता व्यास, मेला अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला, उपायुक्त राजेश डागा, यूआईटी सचिव आनंदी लाल वैश्णव, मुख्य लेखाधिकारी टीपी मीणा, मेला समिति सदस्य महेश गौतम लल्ली, रमेश चतुर्वेदी, नरेंद्र हाड़ा, भगवान स्वरूप गौतम, विकास तंवर, कृश्ण मुरारी सामरिया, मीनाक्षी खंडेलवाल, मोनू कुमारी, पार्शद महेश गोतम सोनू, रमेश आहुजा सहित निगम के पार्शद, अधिकारी, कर्मचारी व आमजन शामिल हुए। 






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राससी ठाट बाट से निकली भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी

कमल सिंह यदुवंशी/मीडिया पॉइंट

कोटा, 30 सितम्बर। नगर निगम कोटा की ओर से आयोजित राष्टीय दशहरा मेला 2017 के तहत शनिवार को रावण दहन से पूर्व शाम को गढ़ पैलेस के दरीखाने से राजसी वैभव व ठाटबाज के साथ भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी निकाली गई। कोटा राजपरिवार के पूर्व महाराव सहित हाड़ौतीभर से रियासत के पूर्व जमींदार, राजपूत सरदार परम्परागत राजसी वेशभूषा में नजर आए। शाम को दरीखाने से सवारी आरंभ हुई। यहां रीति-रीवाज अनुसार खेजड़ी के वृक्ष का पूजन हुआ। इसके बाद भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी रवाना हुई। खुली जीप में पूर्व महाराज कुमार इज्यराजसिंह शाही पोषाक में थे। पीछे राजपूत सरदार चल रहे थे। लोक कलाकार हाड़ौती सांस्कृतिक छटा बिखरते हर किसी का ध्यान खींच रहे थे। बग्गी,घोड़े, झांकिया, उंटगाड़ी, व बैंडबाजे शामिल हुए। जटायू व रावण युद्ध की विशेष झांकी भी देखने को मिला। दरीखाने में पूर्व महाराव बृजरासिंह, सांसद ओम बिरला, विधायक भवानी सिंह राजावत, संदीप शर्मा, हीरालाल नागर, महापौर महेश विजय, यूआईटी अध्यक्ष रामकुमार मेहता, उप महापौर सुनीता व्यास, मेला अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला, पार्शद नरेंद्र हाड़ा, भगवान स्वरूप गौतम, विकास तंवर, महेश गौतम लल्ली, पूर्व महापौर सुमन श्रृंगी सहित कई जनप्रतिनिधि व पूर्व जमीनदार, ठिकानेदार राजपूत सरदार मौजूद थे। 

यह रहे सवारी के मुख्य आकर्षण 

अतिरिक्त मेला अधिकारी व एसी प्रेमशंकर शर्मा ने बताया कि भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी गढ़ पैलेस स्थित दरीखाने से शाम को रवाना होगी, जो किशोरपुरा दरवाजा होते हुए दशहरा मैदान स्थित रावण चौक पहंुची, यहां रावण दहन हुआ। सवारी में 05 झाकियां घोड़ा बग्घी में, 80 वानर सेना पैदल साज सज्जा सहित, 80 रावण सेना पैदल साज सज्जा सहित, 01 काली माता साज सज्जा सहित,  01 हाथी मय साजदार एवं महावत् सिंघासन सहित, 20 घोड़े रावण सेना के पात्र    साज सज्जा सहित, 20 नगाडे मय डेªस साउण्ड, 01 ऊँट गाड़ी मय बडे नगाडे                     युद्ध वाले,  06 जीवंत झांकियां, रावण जटायू युद्ध पैदल, 02 तुरही मय साज के, 01 कच्छी घोड़ी का एक दल 7 व्यक्तियों का, 02 बैण्ड, 20 महिला व 5 पुरूश कलाकार मय साउण्ड   कंजरी चकरी नृत्य मय वेश भूशा में पुलिस एवं  आर.ए.सी. का बैंड आकर्शण का केंद्र रहे। 






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